दिल का दर्द दिल तोड़ने वाले क्या जाने,
प्यार के रिवाजों को ज़माने क्या जाने,
होती कितनी तकलीफ़ लड़की पटाने मैं,
ये घर पे बैठा लड़की का बाप किया जाने?
मेरा दिल भी उस मातम से सेहर जाता है
हां मेरी आँखों में वो मंज़र नजर आता है ….
बददुआ मेरी ये लाचार हुकूमत न रहे
शर्म आती है इसपे, दोगली सियासत न रहे
मुझे उन दुधमुहीं जिंदगानियों का ख्याल आता है
हां मेरी आँखों में वो मंज़र नजर आता है।
उजाला करने से पहले ही दिये बुझते …